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Jean Piaget Ka Sangayanatamk Vikas ka Siddhant | Theory of cognitive development | Jean Piaget



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जिन पियाजे द्वारा प्रतिपादित संज्ञानात्मक विकास सिद्धान्त (theory of cognitive development) मानव बुद्धि की प्रकृति एवं उसके विकास से सम्बन्धित एक विशद सिद्धान्त है। प्याज़े का मानना था कि व्यक्ति के विकास में उसका बचपन एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। पियाजे का सिद्धान्त, विकासी अवस्था सिद्धान्त (developmental stage theory) कहलाता है। यह सिद्धान्त ज्ञान की प्रकृति के बारे में है और बतलाता है कि मानव कैसे ज्ञान क्रमशः इसका अर्जन करता है, कैसे इसे एक-एक कर जोड़ता है और कैसे इसका उपयोग करता है।
जिन पियाजेज ने व्यापक स्तर पर संज्ञानात्मक विकास का अध्ययन किया। पियाजे के अनुसार, बालक द्वारा अर्जित ज्ञान के भण्डार का स्वरूप विकास की प्रत्येक अवस्था में बदलता हैं और परिमार्जित होता रहता है। पियाजे के संज्ञानात्मक सिद्धान्त को विकासात्मक सिद्धान्त भी कहा जाता है। चूंकि उसके अनुसार, बालक के भीतर संज्ञान का विकास अनेक अवस्थाओ से होकर गुजरता है, इसलिये इसे अवस्था सिद्धान्त भी कहा जाता है।
जिन पियाजे ने संज्ञानात्मक विकास को चार अवस्थाओं में विभाजित किया है-

(1) संवेदिक पेशीय अवस्था (Sensory Motor) : जन्म के 2 वर्ष
(2) पूर्व-संक्रियात्मक अवस्था (Pre-operational) : 2-7 वर्ष
(3) मूर्त संक्रियात्मक अवस्था (Concrete Operational) : 7 से 11वर्ष
(4) अमूर्त संक्रियात्मक अवस्था (Formal Operational) : 11से 18वर्ष
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